Let’s discuss about world 4 major religions on earth, in a sequence as they revealed from God to us.

Vedas
Judaism

Bible

Quran

Common problem of Judaism and Christianity

Atheist

Common massage of all religions

What quran says about itself?

Sanatan Dharam (Hindu-ism)

ये हिन्दुओं के विश्वास हैं सनातन धर्म के नहीं |

आइये अपने आपको और अपने प्यारों को नरक की दहकती आग से बचाएं |

अगर आपको कोई हिमालय पर्वत के बराबर सोना भी दे दे, तो उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है ये सन्देश, क्योंकि सोना आपको नरक की भयानक आग से नहीं बचा सकता |

शुरू ईश्वर के नाम से, जो बहुत दयावान और करुणावान है
प्रिय सज्जनों और देवियों
आज हमारे जीवन से सुख, शांति, उन्नति दूर होती चली जा रही है और हम सब अन्धकार की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं| हम लोग संस्कारी लोग हैं, हम अपनी संस्कृति बड़ों से सीखते हैं और छोटों को सिखाने वाले हैं, और हममें से हर एक ने अपने बच्चों को अपनी संस्कृति सिखाई है| इसके विपरीत हर तरफ अशांति है, विलगता है, गहमागहमी है, उलझने हैं, समस्याएं हैं, संकुचन (बेबरकती) है, तकलीफें हैं, अफरातफरी है, बीमारियाँ हैं| लेकिन क्यों? क्योंकि हम सब धर्म से हट गये हैं और अधर्मी हो गए हैं | और कोई ध्यान नही दे रहा है–हर एक अपने मे मग्न है | अगर ध्यान देते हैं तो केवल गन्दी राजनीति में और झूठे समाचारों मे जो हम सबको अधर्मी बनाए डाल रहे हैं |
सोचिये ज़रा अभी हमारे समाज का ये हाल है, जब कि हममे से हर एक ने अपनी संस्कृति अपने बच्चों को दी है और अपने समाज को दी है और समाज ने मिलकर रामायण, रात्रि जागरण, पूजा-पाठ, धार्मिक सम्मेलन, कुम्भ मेला, सत्संग, राम लीला, नवरात्रि, महानवमी, दशहरा, होली,दीवाली, दुर्गा विसर्जन, दुर्गा पूजा, मकरसंक्रांति, वसंत पंचमी, महा शिवरात्रि, वैसाखी, हनुमान जयंती, कांवड़यात्रा, अमरनाथ यात्रा, सावित्री पूजा, गणेश विसर्जन, तीर्थ यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, रथ यात्रा, छोटा चार धाम यात्रा, काशी यात्रा, गुरुपूर्णिमा, नाग पंचमी, रक्षा बन्धन, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, विश्वकर्मा पूजा, शरद पूर्णिमा, करवा चौथ, धनतेरस, भैय्या दूज, छठ पूजा, कार्तिक पूर्णिमा, गीता जयन्ती, धनु संक्रान्ति और गरुण पुराण के पाठ के रूप मे हम सबको संस्कृति दी है और इन्हें समय समय पर सिखाया भी गया है इसके बाद भी आज हमारा यह हाल है | न जाने आगे हमारे समाज का क्या होगा? वो दिन दूर नहीं जब भाई-भाई के खून का प्यासा हो जाएगा, बल्कि प्यासे हो गये हैं, आज कल कोई दिन ऐसा नहीं जाता की समाचारों मे इस तरह के समाचार देखने को न मिलें| हममे से हर एक ये सब देख कर अनदेखा कर रहा है क्योंकि उसको लगता है कि यह हमारे घर मे नहीं हो रहा है| लेकिन याद रखियेगा कि अगर अभी से आँखे न खोलीं तो फिर उसी समय खुलेंगी जब कुछ हो जाएगा| बुद्धिजीवी वो है जो समय को देख कर अपनी समस्याओं का समाधान करले| बरसात शुरू होने से पहले अगर अपना बन्दोबस्त ना किया तो हो सकता है कि शुरू होने के बाद इतनी तेज हो कि सम्भलने का समय ही न मिल सके|
आखिर ऐसा क्या हो रहा है? हमें संभलने की और समाधान की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? जबकि हम सब सारी धार्मिक क्रियाएँ कर रहे हैं, और धर्म से चिमटे हुए हैं?
इसका केवल एक कारण है और वो यह है कि हम सब अपने मूल धर्म और मूल ग्रंथों से दूर हो गये हैं और बहुत दूर, इतना दूर कि अगर कोई इन ग्रंथों की बात करता है तो हमें लगता है कि यह कोई नई बात बता रहा है या किसी और धर्म की बात कर रहा है, बिलकुल अलग तरह की, जैसे कि, ये तो हमारे धर्म और ग्रंथों की बात है ही नहीं| यही कारण है जिसकी वजह से ईश्वर की फटकार हमारे ऊपर पड़ रही है भिन्न भिन्न तरह से और हम समझ नहीं पा रहे हैं| अब हम सबको ईश्वर की फटकार से, उसके ग़ुस्से और क्रोध से बचने के लिए अपने आपको संभालना है और अपने परिवार को बचाने के लिए बन्दोबस्त करना है, ताकि हम और हमारे अपने, उस महान ईश्वर की पकड़ और दंड से बच सकें और धरती पर शान्ति तथा उन्नति के साथ रह सकें और फिर पुनर्जन्म (पेज संख्या 12 देखें) मे भी सुख चैन से रहें और हमें स्वर्ग में जगह मिले|
ये एक विडम्बना की बात है, हम हिन्दुओं के लिए, कि हम धर्म से कितना दूर हैं | हम सब हिन्दू हैं | परन्तु क्या आपको जानकारी है कि हिन्दू नाम का कोई धर्म है ही नहीं | कोई भी किसी भी ग्रंथ से सिद्ध नहीं कर सकता है कि हिन्दू धर्म की परिभाषा यहां लिखी है | अन्यथा उन पुस्तकों के जो बीते 1-2 दशक में लिखी गई हों, हमारे ग्रंथ दुनिया में सबसे पुराने हैं (आदि ग्रंथ = प्रथमग्रंथ) इसलिए इन नई पुस्तकों की कोई महत्वपूर्णता नहीं है | लेकिन आज हम सब बड़े गर्व से कहतें हैं कि हम हिन्दू हैं | आप कैसे हिन्दू हो सकते हैं ? जब हमारे ग्रंथो में हिन्दू धर्म के बारे में कुछ है ही नहीं? हिन्दू शब्द की सत्यता क्या हैं आइये जानते हैं | शब्द “हिन्दू” “मुसलमानों” द्वारा दिया गया है | आइये इस बात की पुष्टि करते हैं – हमारा देश हजारों सालों से भारत के नाम से जाना जाता था और सारी दुनिया भारतीय सभ्यता को अच्छी तरह जानती थी | पहले ये जानने की कोशिश करते हैं कि भारत हिंदुस्तान कब बना फिर ये बात खुद समझ आ जाएगी कि हम सनातन धर्म या शाश्वत धर्म या वेदान्तिष्ट से हिन्दू कब बन गए ? आप इतिहास उठा कर देख लीजिये, मुसलमानों की धार्मिक पुस्तकों में इस भारत देश का नाम “हिन्द” है | उनके यहां बहुत सी रानियों के नाम “हिन्दा” मिलते हैं वो इसी भारत देश के नाम “हिन्द” से प्रभावित हो कर रखे गए थे और आज भी वो ये नाम रखते हैं { ये बात मुहम्मद जी की जीवनी में आपको इस तरह से मिलेगी कि “मुहम्मद जी के चाचा हमजा थे उनको एक अफ़्रीकी गुलाम ने युद्ध में एक हिन्दा नाम की रानी के कहने पर क़त्ल कर दिया था, युद्ध खत्म होने के बाद वो अफ़्रीकी गुलाम रानी को उस स्थान पर लाया ताकि हमजा के मरे हुए शव को दिखा सके और अपना इनाम रानी से ले सके, जब हिन्दा उस स्थान पर पहुंची तो उसने अपने गुलाम को आदेश दिया कि वो हमजा का शरीर काटकर कलेजा निकाले, अफ़्रीकी गुलाम ने ऐसा ही किया फिर हिन्दा ने हमजा का कलेजा अपने मुह से चबाया लेकिन खा न सकी, ये उसने नफरत के कारण किया था, लेकिन हिन्दा ने बाद में इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था } | अब ये अरब के लोग जब भारत में व्यवसाय के लिए आते तो उनकी नजर में ये हिन्द देश था ना कि भारत, इसलिए वो यहां के निवासियों को देश के नाम अनुसार हिन्दू (अर्थात हिन्द में रहने वाले) कहने लगे ना कि भारतीय | ये सिलसिला सैकड़ो साल तक चलता रहा और फिर जब ये अरब के लोग और दूसरे देशों में जाते तो वहां हिन्द और हिन्दुओं की कहानिया सुनाते | इस तरह से ये नाम अरब से उठ कर सारी दुनिया मे पहुंच गया | ये सिलसिला चलता रहा समय बीतता रहा और इस भारत में मुग़ल आये, मुग़ल अपनी धार्मिक पुस्तकों और अरबों द्वारा जानते थे कि इस देश का नाम हिन्द है और यहाँ रहने वाले हिन्दू हैं लेकिन उनकी अपनी भाषा में शब्द “स्तान” लगाने का चलन था और कुछ लोग कहते हैं की “स्तान” का अर्थ होता है “रहने की जगह” इसलिए उन्होंने इस भारत देश को “हिंदुस्तान” के नाम से पुकारा | पहली बार किसी साम्राज्य के द्वारा हिंदुस्तान शब्द उपयोग में आया | और ये बात सत्य लगती है क्यूंकि आप उन सारे देशों के नाम देखें जिधर से मुग़ल आए थे (1. अफगानिस्तान 2.तज़ाकिस्तान 3. तुर्कमेनिस्तान 4. उज्बेकिस्तान 5. कजाकिस्तान आदि) | अब हम सैकड़ों वर्षो की यात्रा कर के उस काल में खड़े हैं जहाँ हमारा भारत हिंदुस्तान बन गया और हम सनातन धर्मी या वेदान्तिष्ट से हिन्दू बन गए | और इसी हिन्दू शब्द से एक नया शब्द बनाया गया है “हिंदुत्व” जिसका धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है |
सनातन धर्म क्या है ?
सनातन धर्म एक ऐश्वर्य धर्म है | उस निराकार ईश्वर ने इस सनातन धर्म के ज्ञान को धरती पर अपने दूत द्वारा भेजा, जिस महान ईश्वर ने सूर्य बनाया, चंद्रमा बनाया, हवा, पानी, सागर, बनाए और जीवन और मृत्यु बनाई | ये धर्म न किसी धार्मिक गुरु या बाबा ने बनाया और न ही किसी दूसरे मनुष्य ने बनाया है | इसके आदेश ईश्वरीय आदेश हैं | मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम जी, श्री कृष्ण जी, शिव जी, इसी धर्म के अनुसार अपना जीवन यापन करते थे | यही कारण है कि ईश्वर उनसे प्रेम करता था और उन्होंने सारी मानव जाति से इसी सनातन धर्म के आदेशानुसार जीवन व्यतीत करने को कहा | लेकिन हम लोगों ने सनातन धर्म छोड़ कर उन महान पुरुषों और स्त्रियों की पूजा-उपासना शुरू कर दी | हमने इस तरह करके ईश्वर का क्रोध मोल ले लिया, और उन महान लोगों का अपमान भी किया | महाप्रलय के दिन ईश्वर उन महान लोगों को बुलाएगा और हम सबके सामने पूछेगा कि “क्या तुम लोगों ने अपनी पूजा-उपासना करने का आदेश दिया था, अपने से बाद वालों को मेरी पूजा के अलावा”? वे महान लोग उत्तर देंगे :- हे परमपिता परमेश्वर ये बात हम पर शोभा नही देती कि हम अपनी पूजा करवाएं तेरे अलावा, और अगर हमने कहा होगा तो तेरे संज्ञान में ये बात अवश्य होगी और इन लोगों के पास भी कोई सबूत ज़रूर होगा, हमारे किस वचन में इन्होंने सुना या हमारी किस पुस्तक में लिखा है….हे ईश्वर इन से मांग… |

ईश्वर उनको उत्तर देगा :- तुमने सत्य कहा, अगर तुम उनको अपनी पूजा का आदेश देते, तो हमारे संज्ञान में अवश्य होता | ये तो, ये ही थे, जिन्होंने झूठ गढ़ लिया और धर्म को छोड़ कर अधर्मी हो गए | ईश्वर फिर आदेश करेगा कि :- इन लोगों ने झूठ गढ़ा, हमारे दूतों के बारे में इसलिए इनको नरक में डाल दिया जाए, हमेशा हमेश ये उसी में जलते रहेंगे |

सनातन धर्म का अर्थ शब्द कोश में “सदा से” अर्थात “वो धर्म जो सदा से हो” यानि वो धर्म जो सृष्टि के अस्तित्व के समय से हो | सनातन धर्म की बहुत सी पुस्तकें हैं जिन के द्वारा ये सनातन धर्म अगली पीढ़ियों तक पहुँचता है |

ईश्वर उनको उत्तर देगा :- तुमने सत्य कहा, अगर तुम उनको अपनी पूजा का आदेश देते, तो हमारे संज्ञान में अवश्य होता | ये तो, ये ही थे, जिन्होंने झूठ गढ़ लिया और धर्म को छोड़ कर अधर्मी हो गए | ईश्वर फिर आदेश करेगा कि :- इन लोगों ने झूठ गढ़ा, हमारे दूतों के बारे में इसलिए इनको नरक में डाल दिया जाए, हमेशा हमेश ये उसी में जलते रहेंगे |

सनातन धर्म का अर्थ शब्द कोश में “सदा से” अर्थात “वो धर्म जो सदा से हो” यानि वो धर्म जो सृष्टि के अस्तित्व के समय से हो | सनातन धर्म की बहुत सी पुस्तकें हैं जिन के द्वारा ये सनातन धर्म अगली पीढ़ियों तक पहुँचता है |

1. श्रुति :- ईश्वरीय वाणी (इसमें केवल वेद आते हैं, क्योंकि ईश्वरीय वाणी केवल वेद ही है | 1. ऋग्वेद 2. यजुर्वेद 3. अथर्ववेद 4. सामवेद

2. स्मृति :- स्मृति , मनुस्मृति अदि आतें हैं जो ईश्वरीय वाणी नहीं हैं, मनुष्यों की लिखी हुई है |

3. इतिहास :- वाल्मीकि रामायण, महाभारत अदि हैं, जो ईश्वरीय वाणी नहीं हैं, मनुष्यों की लिखी हुई है |

4. पुराण :- 18 पुराण बहुत प्रसिद्ध है | गरुण पुराण, श्री मदभागवत पुराण, मत्स्य पुराण अदि आतें हैं जो ईश्वरीय
वाणी नहीं हैं, मनुष्यों की लिखी हुई है |

5. दर्शन (Philosophy) :- इनमें गीता अदि आतें हैं, जो ईश्वरीय वाणी नहीं हैं, मनुष्यों की लिखी हुई है |

सनातन धर्म का सबसे बड़ा सबसे मज़बूत खम्बा, जिस पर सनातन धर्म खड़ा है, वो ये है :-
“ वेदों अखिलो धर्मों मूलम ”
वेद ही धर्म का मूल हैं, कसौटी हैं, जो बातें वेदों के विपरीत होंगी उन्हें नहीं माना जाएगा |
वेद ईश्वर की वाणी हैं। वेदों की आवश्यकता हमारे जीवन में क्यों है? इस प्रश्न के उत्तर को हम एक उदाहरण के द्वारा समझ सकते हैं, मान लीजिए कि हम बाजार से कोई नया उपकरण खरीद कर लाते हैं तो उस उपकरण के साथ में हमें निर्देशों की एक पुस्तिका भी मिलती है, उस पुस्तिका में उस उपकरण की संपूर्ण जानकारी तथा उस उपकरण के उपयोग हेतु आवश्यक दिशा निर्देश लिखे हुए होते हैं तथा साथ ही में यह जानकारी भी होती है कि उस उपकरण को यदि गलत ढंग से चलाया जाए तो उपकरण की वारंटी तथा गारंटी ख़त्म हो जाएगी तथा वह उपकरण सावधानी से इस्तेमाल न किए जाने के कारण ख़राब भी हो सकता है, जिसकी कंपनी की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी।

ठीक इसी प्रकार ईश्वर ने जब हमें इस धरती पर भेजा तो साथ में हमें वेद (ईशवाणी) दिए, वेदों में ईश्वर की वाणी है, जिसमें भली प्रकार से लिखा है कि मनुष्य को अपने जीवन में क्या-क्या करना चाहिए तथा किन-किन बातों से दूर रहना चाहिए। वेदों में मनुष्य-जीवन की प्रत्येक बात लिखी है। वेदों में मनुष्य के जीवन का सार ठीक उसी प्रकार लिखा हुआ है, जिस प्रकार “निर्देश पुस्तिका” में लिखा हुआ था, यदि अच्छे कर्म किए जाएंगे तो मनुष्य को स्वर्ग मिलेगा अन्यथा नर्क मिलेगा। परंतु सोचने वाली बात यह है कि हमें तो पता ही नहीं कि वेदों में क्या लिखा है, हमने तो वेदों की तरफ अपना रुझान करना ही बंद कर दिया है क्योंकि अधिकतर लोगों के मन में यह विचार हैं कि वेद केवल एक परिवार विशेष या जाति विशेष के लोगों के लिए ही हैं, यदि कोई साधारण मनुष्य उसे पढ़ता है, यह सुन भी लेता है तो वह पाप का भागीदार होता है, परंतु साथियों सोचिए, जब उस ईश्वर ने मनुष्य को बनाने में कोई अंतर नहीं रखा तथा स्वयं वेदों में यह बात स्पष्ट लिखी है कि कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा नहीं होता ना धर्म से ना ही कर्म से ना ही परिवार से ना ही जाति से। ईश्वर की दृष्टि में सभी मनुष्य एक समान हैं, हमें केवल वेदों को खोल कर उनको पढ़कर और उन में लिखी हुई बातों को समझ कर, उन पर चल कर अपना जीवन व्यतीत करना है जिससे कि ईश्वर हमें सदा का स्वर्ग प्रदान करें। वेदों को पढ़ना, प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है ।

सनातन धर्म, धरती के दूसरे क्षेत्रों में:- प्राचीन काल में धरती पर चलना फिरना इतना आसान न था जितना कि आज है | उस समय जो जहाँ रह गया उसका परिवार/सम्प्रदाय वहीँ फलने फूलने लगा | और धरती के अलग अलग हिस्सों पर मनुष्य आबाद हुए | इन सब लोगों को सतमार्ग दिखाने के लिए उसी निराकार ईश्वर ने अपना ज्ञान अपने दूतों द्वारा भेजा, ताकि ये लोग उसी के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करके आयें, फिर उसके बदले में हम इनको स्वर्ग में जगह दें |
लेकिन ये ज्ञान उन लोगों की अपनी भाषा में होता था, ताकि ईश्वर की बात को अच्छी तरह से समझ सकें, जिनको आप-हमने अलग-अलग धर्म समझ रखा है | जैसे हमारे पास वेद संस्कृत में आये, क्योंकि हम सब लोग संस्कृत बोलते थे और संस्कृत ही समझते थे |

इसी तरह से एक बड़ा समुदाय हिब्रू बोलता और समझता था उसके पास ये ही सन्देश हिब्रू में आये जिसको आज हम ओल्ड टेस्टोंमंट के नाम से जानतें हैं यानि यहूदियों की धार्मिक पुस्तक | इसी वाणी का अगला हिस्सा फिर हिब्रू में आया जिसको हम न्यू टेस्टोंमंट के नाम से जानते हैं यानि इसाइयों की धार्मिक पुस्तक | पहली वाणी और दूसरी वाणी, अंतिम वाणी व अंतिम दूत की पुष्टि कर रही है लेकिन धर्म गुरुओं ने अपनी दुकान चलाने के लिए जनता को ईश्वरीय आदेशों को बदल-बदल कर बताया, इस तरह से बाद में इसने अलग-अलग धर्मों का रूप ले लिया | लेकिन अगर पुस्तकों को पढ़ा जाए, तो इनकी मूल शिक्षा आज भी एक ही है, परंतु इसमें बहुत कुछ बदला जा चुका है इनके अपने मानने वालों के द्वारा (धर्म गुरुओं द्वारा) | अगर इनको आप विस्तार से पढ़ें, तो देखेंगे कि इन सारे धर्मों की मूल शिक्षा एक ही है और ये सारे धर्म अंतिम समय में एक ही अंतिम दूत और एक अंतिम पुस्तक की बात करतें हैं | ऊपर केवल 2 उदाहरण दिए गए हैं, इस तरह से बहुत सी पुस्तकें आई हैं | और ये ईश्वर के आदेशों को बदल बदल कर बताने का काम सनातन धर्म में भी बहुत हुआ है उदाहरण के लिए आज कोई भी मूर्ति पूजा किये बिना सनातन धर्मी नहीं हो सकता है लेकिन सनातन धर्म कहता है कि मूर्ति पूजा करने वाला नरक में जाएगा, इस तरह की हजारों बातें हैं |

नतस्य प्रतिमास्ति, यस्य नामः महद्यशः

अर्थात्: उसकी कोई प्रतिमा नही है, उसका नाम लेना ही महानतम यश है |

ईश्वर की वाणी अलग अलग भाषाओँ में:-

  1. सनातन धर्म                 वेद              संस्कृत
  2. जैन धर्म                      षटखंडागम        संस्कृत
  3. बौद्ध धर्म                    त्रिपिटक          पालि भाषा
  4. यहूदी                       ओल्ड टेस्टोंमंट    हिब्रू
  5. इसाई                       न्यू टेस्टोंमंट      हिब्रू
यह सब एक ही लड़ी के अलग अलग मोती हैं और अब तो अंतिम पुस्तक और अंतिम दूत भी आ चुका है, उसकी पुष्टि हमारे सारे ग्रन्थ कर रहे हैं | और आज से पहले किसी भी ग्रन्थ की रक्षा की ज़िम्मेदारी ईश्वर ने नहीं ली थी इसीलिए उनके मानने वालों ने उसको बदल डाला या जनता को गुमराह कर दिया | लेकिन उस अंतिम पुस्तक की रक्षा की ज़िम्मेदारी उस निराकार ईश्वर ने स्वयं ली है क्योंकि महाप्रलय तक आने वाले सारे मनुष्यों को सतमार्ग दिखाने का अकेला स्रोत है | आज तक इसको बहुत से लोगों ने बदलने की कोशिश की, लेकिन एक अक्षर भी न बदल सके, उलटे नुकसान उठाया | और वो पुस्तक ज्यों की त्यों है | वो पुस्तक मनुष्यों से बात करके, अपनी लिखाई से ईश्वरीय ग्रन्थ होने का सुबूत देती है |
आज सनातन धर्म की हालत |
हमारे आज के सनातन धर्म का ये हाल है कि कुछ आस्थाओं को और कुछ नयी तरह की पूजा पद्धति को हमने धर्म समझ लिया है | धर्म का एक अर्थ ये भी है, जो हमें अच्छी तरह समझा दिया गया है कि धर्म यानि धन का खर्चा | जिसका मूल धर्म और मूल ग्रंथों से कोई सम्बन्ध नही है| सिर्फ और सिर्फ हमारी आस्था है हमारा सोचने का अन्दाज़ है लेकिन सत्यता कुछ भी नहीं है |

ये ही हमारी सारी समस्याओं की जड़ है | असल धर्म भूल गए और दूसरी नयी चीज़ों को धर्म समझ बैठे या असल धर्म मे मिलावट कर बैठे और ये भी बात सत्य है कि धन कमाने के लिए कुछ लोगों ने धर्म की सूरत बदल दी और भोले भाले लोगों को गलत समझा दिया, ज्ञान की कमी के कारण से लोगों ने धर्म समझ कर अपने जीवन मे उन नयी चीजों को उतार लिया|

हमारी ये हालत कोई एक दिन मे नही हुई है बल्कि हमारी हर संतान थोड़ा थोड़ा मूल धर्म से हटती गयी और अगली आने वाली संतान ने अपने माता पिता को जो मूल धर्म से हटा देखा तो ज्ञान की कमी के कारण अधर्म को धर्म समझ लिया, इस तरह से हर संतान थोड़ा थोड़ा हटती गयी और हजारों वर्षो के बाद आज हम सब पूरे अधर्मी हो चुके हैं इसीलिए हम सबको ईश्वर के क्रोध का सामना करना पड़ रहा है | अब हम हिंदुत्व के नाम पर और अधर्म के अंधकार में उतरने वाले हैं | आज धर्म के नाम पर हर मंदिर में वसूली हो रही है |क्या ईश्वर जो इस ब्रहमाण्ड का चलाने वाला है उसको पैसे की कमी पड़ गयी है? शायद आज धन कमाने का एक अच्छा व्यवसाय धर्म भी है| याद रखियेगा, जहाँ धन आ जाए वो धर्म नहीं हो सकता वह कोई न कोई धोखा है|क्या ईश्वर केवल धन वालों से ही खुश होता है ? सारे गरीब नरक मे जाने के लिए बनाए गए हैं ? क्यूंकि धन वाला बहुत ज्यादा चढ़ावा चढ़ा सकता है लेकिन गरीब नहीं|

आज इस बात की सबसे अधिक आवश्यकता है कि हम अपने धर्म का शुद्धिकरण करें, हर तरह से, अपने ही ग्रंथो के अनुसार, ताकि सफल हो सकें, इस धरती पर भी और महाप्रलय के दिन भी|

ऊपर लिखी हुई बात एक उदाहरण से समझते हैं- जैसे कि हमे किसी यात्रा पर जाना हो, तो उसके लिए हमने अपनी बड़ी महंगी गाड़ी निकाली और एक बहुत बुद्धिमान ड्राईवर को बुलाया| ड्राईवर है तो बहुत होशियार बस कभी कभी एक छोटी सी गलती कर देता है, कि भूल कर गाड़ी सड़क के बाई ओर से दाई ओर ले आता है ! आपको अनुभव है कि सड़क के दाई तरफ चलने का परिणाम क्या होगा………..? “मौत”…..और केवल मौत ही नहीं बल्कि शरीर का भरता बन जाएगा|

बिलकुल इसी ड्राईवर की तरह हम भी काबिल हैं बुद्धिमान हैं | अन्यथा कुछ छोटी छोटी धार्मिक ग़लतियों के,जो कि अगर हम छोड़ दें तो सारी समस्याये, परेशानियाँ, तकलीफें, और बीमारियाँ दूर हो जाएं और फिर हर तरफ सुख, शांति उन्नति होगी और सबसे बड़ी बात दुनिया का साम्राज्य ईश्वर हमारे पैरों मे डाल देगा |

पहली बड़ी गलती जो हम सब कर रहे हैं |
अगर आपसे पूछा जाए, कि ईश्वर कितने हैं? तो आप का उत्तर क्या होगा? 1, 2, 3, 10…… कितने?

हमने आज तक जितने लोगों से पूछा, उनमें कई लोग अलग अलग धर्म के थे, सब ने एक ही बार मे उत्तर दिया कि“वो एक (1) है” |

लेकिन आज हममे से अधिकतर लोग सैकड़ों नहीं, हजारों नहीं, लाखों नहीं, बल्कि करोंड़ों देवी देवताओं मे खोये हुये हैं जिनके उनको नाम तक नहीं मालूम और ये देवी देवता जगह और इलाके के हिसाब से बदल जाते हैं | उत्तरी भारत और दक्षिण भारत के देवी देवताओं में बहुत अंतर है | और कुछ लोग ये भी विश्वास रखते हैं की वह 3 हैं “ब्रह्मा, विष्णु, शिव/ महेश” लेकिन ये उस एक ईश्वर के गुणमात्रक नाम हैं ना कि वो तीन हैं | हमें संस्कृत तो आती नहीं है इसलिए हम भ्रमित हो जाते हैं| आइये इन नामों को हिंदी में समझें 1. ब्रहम= पैदा करने वाला 2. विष्णु= पालने वाला 3. शिव/महेश= मृत्यु (मौत) देने वाला |यह सारे गुण ईश्वर के हैं ना कि वो 3 या 4 या 6 हैं | हमें अपने धर्म का शुद्धिकरण करना होगा, अपनी हर गलत सोच और गलत ज्ञान को सही सोंच और सही ज्ञान से बदलना होगा |

और यही हमारा भी विश्वास है कि वह ईश्वर एक है जो सारे ब्रम्हाण्ड को चला रहा है| जो पानी बरसाता है, खेतों से अनाज उगाता है,धरती के नीचे जिसने पानी की व्यवस्था कर रखी है, उसी ने हमारे लिए नदी, दरिया, नहरें और सागर बनाए, वही है जो हमारे लिए सूर्य और चंद्रमा को निकालता है और डुबाता है| फिर वह इस सूर्य से दिन मे धरती पर प्रकाश देता है और खेतों मे अनाज व फलों को पकाता है, फिर उसी ने चंद्रमा को इस काम पर लगाया कि रात के समय धरती पर प्रकाश दे और सागरों के जल को खूब हिलाए ताकि उसमें आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में जमा हो जाए ताकि सारे जीव चैन से रहें| वही है जिसने हमें परिवार दिया और वही है जिसने हमें पैदा किया और हमारे अंगों को बनाया | वही एक है जिसने हमारा खूबसूरत चेहरा बनाया| वही एक है जो एक दाने से हज़ार दाने पैदा कर देता है| वो एक है जिसने हमें भिन्न भिन्न प्रकार की तरकारियाँ, फल और फसलें दीं |और न जाने क्या क्या दिया सबको लिखना असंभव है| उसकी प्रशंसा लिखने के लिए अगर सारे पेड़ों को काट कर कलम बना दिया जाए और सारे सागरों को स्याही बना दिया जाए, दोनों ख़त्म हो जायेंगे, लेकिन ईश्वर की प्रशंसा ख़त्म नहीं होगी|

ऐसे बड़े ईश्वर, ऐसे महान ईश्वर, ऐसे दयालू ईश्वर को छोड़ कर हम दूसरों की पूजा कैसे कर सकते हैं? हे महान ईश्वर हम तुझसे प्रार्थना करते हैं कि हमको सतमार्ग दिखा और अंधकार वाले मार्ग से बचा ले |

आप खुले आकाश के नीचे जाएं और देखें कि वो हमारे लिए सूरज कैसे निकालता है और कैसे डुबोता है | खेतों और बागों मे जायें और देखें कि कैसे वो फसलों और फलों को उगाता है |फिर शाम को देखें कि जब ढलने लगे, और रात को देखें जब चढने लगे और सुबह को देखें जब फैलने लगे| उस ईश्वर की महानता को देखें तभी तो उसकी प्रशंसा दिल से निकलेगी | यह शहर के जीवन ने हमें रंगीनियों मे गुम कर रखा है| यह सब कुछ आप अपनी आँखों से जाकर किसी गांव मे देखें फिर आपको अनुमान होगा कि वह ईश्वर कितना शक्तिशाली है |कितना दयालु है और आपसे कितना प्रेम करता है और हर रोज़ आपके लिए कितना काम करता है| और फिर अपने ऊपर नज़र डालें कि हम और आप उसके लिए क्या कर रहे हैं? अगर हम उसके लिए कुछ नहीं कर सकते हैं तो क्या हम उसके बताए हुए मार्ग पर चल भी नहीं सकते हैं? क्या हम अपना जीवन उसके आदेशों के अनुसार नहीं ढाल सकते हैं? और क्या हम अकेले उसी की पूजा और उसी की उपासना नहीं कर सकते हैं ?जबकि उसने हमको सतमार्ग दर्शा दिया है|

आइये आज से नफरत करना छोड़ दें और प्रेम करना शुरू कर दें, जैसे ईश्वर हमसे प्रेम करता है उसी तरह से हम भी हर मनुष्य और हर जीव से प्रेम करें अगर हम दूसरों से नफरत करेंगे तो ईश्वर भी हमसे नफरत करेगा|जैसे आज हमें उसकी तरफ से दंड मिल रहा है, वो ये है कि हमारे घर परिवार टूट रहें हैं और हर एक किसी न किसी परेशानी से जूझ रहा है |

बहुत बुरा किया उन लोगों ने जो अपने असली मालिक“ईश्वर” को छोड़ कर या भुला कर दूसरों की पूजा उपासना कर रहे हैं| बहुत बुरा कर रहे हैं वो लोग, जो आम जनता को ईश्वर की तरफ बुलाने के बजाये अपनी तरफ बुला रहे हैं…, अपने डेरों में बुला रहे हैं और अपने आस्तानो पर बुला रहे हैं लेकिन ईश्वर की तरफ कोई नहीं बुला रहा है | डेरों और आस्तानो को चलाने वाले भी मर कर उसी ईश्वर के सामने उत्तर देंगें अपने किये का, और भोगेंगें | उस महाप्रलय के दिन न ये आपके काम आएंगे न आप इनके काम आएंगे | सब अपने किये का भोगेंगे| धरती पर इससे बड़ा कोई दूसरा पाप नहीं कि मनुष्य खाए तो ईश्वर का, पिये तो ईश्वर का, रहे तो ईश्वर की धरती पर, साँस लेने के लिए हवा उसी ने दी, दिलों मे धडकन उसी ने चलाई, आखों मे देखने की ताकत उसी ने रखी, सारी चीजें मनुष्य के पास उसी ईश्वर की दी हुयी हैं|इसके बावजूद पूजा उपासना किसी और की हो, यह बहुत बड़ा महा पाप है| कैसा बुरा अन्याय कर रहे हैं हम मनुष्य ईश्वर के साथ, इसीलिए हम सब के साथ भी ईश्वर उसी तरह का व्यवहार कर रहा है| हर जगह हर एक की पूजा उपासना हो रही है और हर जगह हर एक का मंदिर है राम जी का मंदिर, कृष्ण जी का मंदिर, गणेश जी का मंदिर, काली माई का मंदिर और भी बहुत से….. लेकिन आज तक नही मिला तो ईश्वर का मंदिर नहीं मिला | कुछ लोग ईश्वर की भी भक्ति करते हैं और साथ में दूसरों की भी भक्ति करतें हैं यह भी बड़ा घनघोर पाप है धरती पर बिलकुल पहले पाप जैसा| जब उसके कामों मे उस के अस्तित्व मे किसी दूसरे की साझेदारी नहीं तो उसकी पूजा और उपासना मे कैसे दूसरों की साझेदारी हो सकती है| बहुत बुरा करते हैं वो लोग जो साझेदार बनातें हैं या उसका रूप धारण करवाते हैं मूर्तियों में, या दूसरी चीज़ों में| यह सब वह लोग हैं जिनको ईश्वर पकड़कर नरक में डालेगा और कभी नहीं निकालेगा जब इनको भूख लगेगी तो खौलता हुआ पीप दिया जायेगा और जब प्यास लगेगी तो खौलता हुआ पानी दिया जायेगा| और यही सारे आदेश उन ग्रंथो मे हैं जिनको हम ईश्वरीय ग्रंथ कहते हैं |

ग्रंथों की बात करने से पहले एक नियम याद रखिए, “ बच्चा परीक्षा में पास उस समय होगा जब वो उत्तर पुस्तक के अनुसार दे” | बिलकुल उसी तरह हम सब मरने के बाद सफल उसी समय होंगे और नरक से बचेंगे, जब हमारा जीवन हमारी पुस्तकों (ग्रंथों) के अनुसार होगा | वहां न माता पिता की बात काम आएगी ना ही किसी गुरु की, केवल और केवल ग्रंथों की बात काम आएगी, जो इकलौता स्रोत है हमारे पास ईश्वर की बात पहुचाने का |

[ब्रह्मसूत्र] “एकम् एवम्अद्वितियम्”
अर्थात: वह एक है और दूसरे की साझेदारी के बिना |

जब इस ब्रह्म सूत्र पर हमारा कोई विश्वास नहीं है तो हम सनातन धर्मी कैसे हो सकते हैं ?

[वेदान्त का सार] “एकम ब्रह्म् द्वितीय नास्ति नेह् ना नास्ति किंचन”

ईश्वर एक ही है दूसरा नहीं है-नही है-नहीं है-अंश मात्र भी नहीं है |

जब ईश्वर भगवान एक है तो पूजा उपासना अनेक की कैसे हो सकती है ?

[ऋग्वेद 1:1:1] ‘’हम सबसे आगे के ईश्वर (अग्रणी) की ही उपासना करते हैं |’’

[ऋग्वेद8:1:1] उस एक ईश्वर के अलावा किसी दूसरे की पूजा उपासना न करो |

(न किसी मूर्ति की, न किसी पेड़ की, न किसी तस्वीर की, न किसी पत्थर की, न किसी पर्वत की, न बर्फ़ की, न जानवर की, न धन की, न स्त्री न पुरुष की, और न किसी भी अन्य वस्तु की, सिवाय उस एक ईश्वर के, उस एक के अलावा सब झूठ है, सब अधर्म है)

[ऋग्वेद6:45:16] वह एक ही है उसी की उपासना व स्तुति (तारीफ अथवा प्रशंसा) करो |

[यजुर्वेद 40:16] “हे साक्षात ज्ञान, सबको प्रकाशित करने वाले परमेश्वर! हमको मार्गदर्शन और क्षमा के लिए सत्मार्ग पे ले चल | हे सुख दाता प्रभु! दिव्यस्वरूप स्वामी ! तू सबकी विधाओं, कर्मों , चिन्तन तथा परस्पर व्यवहारों से परिचित है | हमसे विकार, पथभ्रष्टता और पाप को दूर कर हम तेरी ही बन्दगी व स्तुति करते हैं” |

[ऋग्वेद 3:121:10]  ‘’संसार का स्वामी एक ही है |’’

[अथर्ववेद 13:4:12] “वह ईश्वर एक और सचमुच एक ही है” |

[ऋग्वेद 10:121] हम किस भगवान को भेंट दे रहे हैं? (यह वाक्य लगातार 9 बार ऋग्वेद मे आया है) (क्या एक निराकार ईश्वर के अलावा किसी और को? क्या किसी मूर्ति को या पेड़ को…..या किसी और को दे रहे हैं )

[ऋग्वेद8:1:1] एक ही परमेश्वर को विद्वानों ने कई नामों से पुकारा है |

(परमात्मा ब्रह्मा विष्णु महेश शिव ईश्वर भगवान, यह सारे नाम एक ही ईश्वर के हैं इसके अलावा और भी बहुत से हैं,ना कि अलग अलग देवी व देवताओं के, और इस तरह के बहुत सारे नाम हिंदी व संस्कृत मे हैं इसके अलावा हर भाषा मे उसके अलग अलग नाम हैं.. लेकिन सब का अर्थ वही एक ईश्वर है, उसी एक ही की हम सबको पूजा उपासना करनी चाहिये)

[ऋग्वेद8:19:25] हे अग्नि दुनिया के पैदा करने वाले, सब के पूजनीय……

[अथर्ववेद13:4:46] वह ईश्वर इससे परे है कि उसको मौत आये बल्कि अमरत्व की कल्पना से भी वह तो महानतर है| [अथर्ववेद10:8:32]वह न कभी मरता है और न कभी वृद्ध (बूढा) होता है |

(जो दुनिया मे नहीं बचे उनकी पूजा नहीं होगी, जो सदा से है और सदा (हमेशा) रहेगा केवल उसी की ही पूजा होगी और उसका कोई साझेदार भी नहीं) मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी तथा श्री कृष्ण जी की भी मृत्यु हुई थी |

[ऋग्वेद 10:121:3] वो सारे जीव (जानदार) और निर्जीव जगत का बड़ी महिमा के साथ अकेला हुकूमत करने वाला है, वो जो मनुष्यों तथा पशुओं का (पालने वाला) प्रभु है (उस एक ईश्वर को छोड़ कर) हम किस भगवान की स्तुति (प्रशंसा) करते हैं और भेंट (चढ़ावे) चढाते हैं?

[ऋग्वेद 10:121:5] उसी से आकाशों मे मजबूती और धरती मे स्थिरता (ठहराव है, हिलडुल नहीं रही) है उसी की वजह से उजालों के साम्राज्य है और आकाश टिका हुआ है- अन्तरिक्ष के पैमाने (नाप) भी उसी के लिए हैं (उसे छोड़ कर) हम किस ईश्वर की प्रशंसा करते हैं और चढ़ावे चढाते हैं भेंट चढाते हैं?

[अथर्ववेद 2:2:2] वह एक ही सर्वश्रेष्ठ पूजा और दासता किये जाने के योग्य प्रभु है |

[ऋग्वेद 10:121:2] ईश्वर ही आत्मिक एवं शारीरिक बल प्रदान करने वाला है और उसी की उपासना समस्त देवता किया करते हैं | उस ईश्वर की प्रसन्नता सदा का जीवन प्रदान करने वाली है और मृत्यु का अन्त करने वाली है | उस ईश्वर को छोड़कर तुम किस देवता को पूज रहे हो? (मरने के बाद स्वर्ग में या नरक में जाने के बाद मृत्यु का अन्त है फिर सदा की नरक है या सदा की स्वर्ग है)

[भाष्य गीता, पेज 326, प्र०: कल्याण गोरखपुर] केवल एक सर्वशक्तिमान ईश्वर को अपना स्वामी मानते हुए स्वार्थ और अहंकार छोड़ कर निष्कपटता की भावना और सच्चे प्रेम के साथ निरन्तर चिन्तन करना ही ऐसी उपासना है जो दुराचार से पवित्रता है |

There is company name TOYOTA it makes high quality cars.

Around 10 years ago company made a car named Fortuner. If i ask you which model is most reliable? which is launched in 2009 or launched 2021 of course you will say model made in 2021 is most reliable then the one launched earlier. why? Because company is continuously working to make it better & better…. That’s why model launched in 2021 is most reliable. So now there is a question aries that TOYOTA is working every single day to make it’s cars better so every new car is batter than the last car.

So question is, In the market there are many editions of BIBLES who is trying to make it better than God. Who is upgrading books of God, Does God him selves? Or are there some managers of God?
Ooh Jewish & Christian people THERE IS SOMETHING BEHIND THE CARTON. Open your closed eyes before it’s too late….!

Judaism

Today Jew’s Believes Not the Holy Bible

  • Faith in Ezra as the son of God.
  • Don’t have any faith in last messenger, while bible talks about it.
  • Jews will stay in hell maximum 8 Days (Do Jews have any proof of it.)

Real Teachings of Judaism (of Holy Bible)

  • Book of Deuteronomy Ch. 6 Verse 4. Hear oh Israel the Lord our God is one Lord. (when he is one then can you say Ezra is the son of God?)
  • Book of Isaiah Ch. 43 Verse 11. I am Lord and there is none else there is no savvier besides me.
  • Book of Isaiah Ch. 45 Verse 5. I am Lord and there is none else there is no God besides me.
  • Book of Isaiah Ch. 46 Verse 9. I am God and there is none else I am God and there is none like me.
  • Book of Exodus Ch. 20 Verse 3-5. Though shell have God besides me though shell not make an to the any graven image of any thing of any likeness in the heaven above in the earth beneath in the water beneath the earth though shell not bow down to them nor serve them for I the God the Lord is a jells God.
  • Book of Deuteronomy Ch. 5 Verse 7-9. Same above massage repeated.

Christianity

Today Christian’s Believes Not the Holy Bible

  • Some Ideal worshiper Some not.
  • Every christian believe that Jesus Christ is the son of god.
  • Christians believe that, Jesus Christ hanged over nub for the sins of christian people.
  • Don’t have any faith in last messenger, while bible talks about it.
  • Christians Drink alcohol, Eat Pork but Bible prohibits.

Real Teachings of Christianity (of Holy Bible)

Gospel of John Ch. 14 Verse 28. My father is greater than I.

Gospel of John Ch. 10 Verse 29. My father is greater than all.

Gospel of Mathew Ch. 12 Verse 28. I cast out devils with the spirit of God.

Gospel of John Ch. 5 Verse 30. I can of my own self do nothing as i hear i judge and my judgment is just for i seek not my will but the will of my father.

Book of Deuteronomy Ch. 6 Verse 4. Hear oh Israel the Lord our God is one Lord.

Gospel of Luke Ch. 24 Verse 36-39. Behold my hands & feet handle me and see for a spirit has no flesh and bones and he gave his hand and they saw and they were joid… he said do you have any meat to eat and they gave him boiled fish and peace of honey comb and he ate. (To proof what? Does he God?….. TO PROOF THAT HE WAS NOT GOD)
The word TRINITY does not exist anywhere in the bible, But Quran talks about this word.

Oh the people of bible. These are 3 different personalities and believe of Holy Bible.

1. Say God is one and only, none besides him.

2. Jesus Christ is a mightiest messenger of God, not the son of God.

3. Holy spirit is a mightiest angle of God, not the form of God.

Islam

Today Muslims Believes Not the Quran

  • Some grave worshiper, same as ideal worshipers (as Hindus)
  • Majority believes in Taveez, (peace of black cloth hanging in neck or tight at shoulder).
  • Some worship their PEERS (Religious contractors)

Real Teachings of Islam (Quran)

Worship one & only Allah/ Ishwar/ God

112:1-4 Say, God is one and only. The Eternal Refuge. He neither begets nor begotten. Nor there is any one equivalent to him.

N

Quran is guide book from almighty God but unfortunately most of the Muslims don’t know even single word of the Quran.

N

Quran is the only book on earth which orders their believers that have believe and follow the right orders of VEDAS, TORAH, BIBLE AND QURAN.

N

Quran is the final revelation from God, no more revelation is going to come.

N

Believe and follow messengers including the last one Prophet Muhammad (may peace be upon him) Who is mentioned in every scripture. Vadas, Old testament of Bible, New testament of Bible.

N

Believe in all books revealed before Quran including Bibles and Vedas (both books are mentioned by names)

N

Believe in the life hereafter and believe as well as get ready for the day of judgment.

N

Bowing down to graves and peers are Shirk (associating partner with Allah/Eshwar, like as to bow down to ideals).

What Quran says about itself?

1.) Say, “humans and jinn were to come together to produce the equivalent of this Quran, they could not produce its equal, no matter how they supported each other.” 17:88

2.) Or do they say, “He has fabricated this ˹Quran˺! ”? Say, “Produce ten fabricated (chapters) sûrahs like it and seek help from whoever you can—other than Allah—if what you say is true!” 11:33

3.) Or do they say, “He made this ˹Quran˺ up!”? In fact, they have no faith. 52:33

4.) Let them then produce something like it, if what they say is true! 52:34

5.) And if you are in doubt about what We have revealed to Our servant, then produce a sûrah (chapter) like it and call your helpers other than Allah, if what you say is true. 2:23

6.) But if you are unable to do so—and you will never be able to do so—then fear the Fire fuelled with people and stones, which is prepared for the disbelievers. 2:24

Let’s talk about 2nd type of people Atheist.

Atheist are those people who do not believe in God, Creator of the universe.

They claim that the universe is working itself.

I felt that they have a mind set that, they are most intellectual people in the world but after some discussion i felt they are most ignorant people on earth except those who change themselves.

I was sitting with an atheist doctor,

I asked, Worship only one God who change the days by nights and nights by days.

Dr. Replied, this sun comes and goes itself, no need to worship any..!

I , if this huge sun can come itself every day without any fail then, why not these small tablets can get packed itself. If it will be done then i am agree with you. Unfortunately I didn’t get any reply……from him.

Once more time my fried asked some atheist Friend, How do you fill water tank kept on the top of your house/apartment?

Atheist, By water pump.

Friend, why not water itself goes up?

Atheist, Due to gravitational force.

Friend, What about these Coconut trees? Why not gravitational force is working on these trees while they are taller than your house? Every coconut get filled with water without any pump.

Atheist, had no answer!

We should know that there is a manager, a creator, a power who is controlling every thing, a dead or dry leaf even can’t fell from the tree without the Lord’s permission.

This creator, power, manager called by different people of different languages with different names, Eshwar, God, Allah, Rab etc. Every good name is for Him.

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